ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व (Importance of Saturn in Astrology)

ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व (Importance of Saturn in Astrology)

हमारा विषय है : ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व - Importance of Saturn in Astrology - इसका विस्तार से विश्लेषण करें तो शनि(Shani) एक अनुशासनात्मक और न्याय कारक ग्रह(Grah) हैं।शनि(Shani) का प्रभाव बहुत ही व्यापक और जीवन पर गहरा असर डालता है । शनि(Shani) मकर और कुम्भ दो राशियों के स्वामी हैं। तुला राशि(Rashi) शनि(Shani) की उच्च राशि(Rashi) है जबकि मेष इसकी नीच राशि(Rashi) मानी जाती है। शनि का गोचर(Saturn Transit) एक राशि(Zodiac Sign) में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि(Shani) ढैय्या कहते हैं। शनि(Shani) की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि(Shani) की साढ़े साती(Sadesati) कहा जाता है।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व (Importance of Saturn in Astrology) जानने के लिए इसका और विस्तार से विश्लेषण करें तो शनि(Shani) न्याय का देवता है ।हिन्दू ज्योतिष में शनि(Shani) ग्रह को आयु, दुख, कर्मचारी, सेवक,विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, जेल आदि का कारक माना जाता है। लोगों में शनि(Shani) ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। लोग इसके नाम से भयभीत होने लगते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है।यह मकर और कुंभ राशि(Rashi) का स्वामी होता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि(Shani) उच्च हो तो वह उसे रंक से राज बना सकता है।

शनि(Shani) ग्रह, कुंडली(Kundli) में स्थित 12 राशियों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष(Astrology) में शनि(Shani) एक पापी ग्रह(Grah) है, परंतु यदि शनि(Shani) कुंडली(Kundli) में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है। कमजोर शनि(Shani) जातक को आलसी, सुस्त और हीन मानसिकता का बनाता है। इसके कारण व्यक्ति का शरीर व बाल खुश्क होते हैं। शरीर का वर्ण काला होता है। हालाँकि व्यक्ति गुणवान होता है।

शनि(Shani) के प्रभाव से व्यक्ति एकान्त में रहना पसंद करेगा। वंही - ज्योतिष(Astrology) में शनि(Shani) ग्रह(Grah) बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान बनाता है और जीवन में स्थिरता बनाए रखता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की उम्र में वृद्धि होती है।

जातकों को शनि(Shani) के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि(Shani) के उपाय करना चाहिए।

मंत्र -
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

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