राशियों के विशेष स्वभाव और लक्षण (Rashis-Nature and Charachteristics)

राशियों के विशेष स्वभाव और लक्षण ( Rashis-Nature and Charachteristics )

हमारा विषय है : Rashis-Nature and Charachteristics - राशियों के विशेष स्वभाव और लक्षण :- ज्योतिष अथाह सागर है जिसकी गहराई का कोई अंदाज नहीं लगा सकता इसी कड़ी में राशियों के सम्बन्ध में कुछ ख़ास बातें अपने सुधि पाठकों के लिए लाना जरुरी है। ये बातें फलादेश में बहुत ही सहायक होती है। कुछ राशियां आगे से उदय होती हैं जिसे शीर्षोदय कहा जाता हैं , कुछ पीछे से जिसे पृष्ठोदय कहा जाता है तो कुछ दोनों तरफ से जिसे उभयोदय कहा जाता है , ये बहुत ही तर्कसम्मत है क्योंकि जो राशियां शीर्षोदय (सिर से या आगे से ) होती हैं वो अपना फल प्रारम्भ में ही दिखा देती हैं जबकि पृष्ठोदय (पीछे से ) राशियां अंत में परिणाम देती हैं और उभयोदय मध्य भाग में अपना फल दिखाती हैं । इसी तरह कुछ राशियां रात में बलि होती हैं तो कुछ दिन(दिवा ) में बलि मानी जाती हैं । रात्रि बलि राशियों पर चन्द्रमा का अधिकार होता है तो दिवा बलि पर सूर्य का। इसकी तालिका को नीचे दिया गया है :

मेष :-------------------------------------------------- पृष्ठोदय (पीछे से), रात्रि बलि
वृष: ---------------------------------------------------पृष्ठोदय (पीछे से), रात्रि बलि
मिथुन:------------------------------------- उभयोदय(दोनों तरफ से ), रात्रि बलि
कर्क :------------------------------------------------ पृष्ठोदय (पीछे से), रात्रि बलि
सिंह: ------------------------------------------------शीर्षोदय (सिर से ), दिवा बलि
कन्या :---------------------------------------------- शीर्षोदय (सिर से ),दिवा बलि
तुला :------------------------------------------------शीर्षोदय (सिर से ),दिवा बलि
वृश्चिक :-------------------------------------------- शीर्षोदय (सिर से ), दिवा बलि
धनु : ------------------------------------------------पृष्ठोदय (पीछे से), रात्रि बलि
मकर: ------------------------------------------------पृष्ठोदय (पीछे से), रात्रि बलि
कुम्भ: -----------------------------------------------शीर्षोदय (सिर से ), दिवा बलि
मीन : --------------------------------------उभयोदय (दोनों तरफ से ), दिवा बलि

राशियों के अन्य लक्षणों में उनके चार स्वभाव और चार दिशाएं भी है , इसके अलावा कौन सी राशि क्रूर होती है और कौन सी सौम्य कौन सी राशि विषम होती हैं और कौन सी सम इसकी जानकारी होना भी जरुरी है। इसका फलादेश में महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि राशियों की दिशा अगर आपको पता होगी तो कारक ग्रह की दशा में किस दिशा में काम सफल हो सकते हैं ये आपके संज्ञान में रहेगा। अगर चर लग्न में या राशि में काम करेंगे तो वो काम जल्दी होगा। स्थिर लग्न में कोई काम करे जैसे नए घर में प्रवेश , नए दफ्तर में प्रवेश तो लम्बे समय तक टिका रहे। इसी तरह सम राशि में या सौम्य राशि में शुभ ग्रह ज्यादा होंगे तो सुशीलता बढ़ेगी, व्यक्तित्व आकर्षक होगा । क्रूर राशि में क्रूर ग्रह और भी घातक परिणाम दे सकता है जबकि सौम्य राशि में वही ग्रह कम क्रूरता दिखायेगा। इसको नीचे तालिका में दिया गया है।

मेष : --------------------------------------------------चर , क्रूर , विषम , पूर्व दिशा
वृष : --------------------------------------------स्थिर , सौम्य , सम , दक्षिण दिशा
मिथुन :----------------------------------------- उभय , क्रूर , विषम , पश्चिम दिशा
कर्क :----------------------------------------------- चर ,सौम्य , सम , उत्तर दिशा
सिंह :------------------------------------------------ स्थिर, क्रूर, विषम , पूर्व दिशा
कन्या : -----------------------------------------उभय , सौम्य , सम , दक्षिण दिशा
तुला :----------------------------------------------- चर, क्रूर, विषम , पश्चिम दिशा
वृश्चिक : -------------------------------------------स्थिर, सौम्य , सम , उत्तर दिशा
धनु : ------------------------------------------------उभय , क्रूर, विषम, पूर्व दिशा
मकर :--------------------------------------------- चर, सौम्य , सम , दक्षिण दिशा
कुम्भ :-------------------------------------------- स्थिर, क्रूर, विषम , पश्चिम दिशा
मीन : --------------------------------------------उभय , सौम्य , सम , उत्तर दिशा

तो ये था हमारा विषय :" Rashis-Nature and Charachteristics - राशियों के विशेष स्वभाव और लक्षण" , अगली पोस्ट में जानेंगे ग्रहों की मित्रता और शत्रुता जिसमे हम जानेंगे तात्कालिक और स्वाभाविक मित्रता |

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