वैदिक ज्योतिष क्या है ? (What is Vedic Astrology?)
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- On August 10, 2018
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वैदिक ज्योतिष क्या है ? (What is Vedic Astrology ?)
हमारा विषय है : वैदिक ज्योतिष क्या है ? What is Vedic Astrology ? इस पर विस्तार से बात करें तो सवाल उठता है वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) किस तरह काम करती है, ये कितनी वैज्ञानिक है ? मानव जाति पर सामूहिक और व्यक्तिक तौर पर कैसे प्रभाव् डालती है ? और आम आदमी इसको सीखकर कैसे अपने जीवन को संवार सकता है इसका फायदा उठा सकता है और दूसरे लोगों को भी रास्ता दिखा सकता है | आइये आपको इसकी विस्तार से जानकारी देते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) एक विज्ञान है जो आकाश में स्थित नौ ग्रहों और 27 नक्षत्रों का अध्ययन करके पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों के जीवन पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में बताता है। वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) की गणना करते समय राशि(Rashi) चक्र, नवग्रह, जन्म राशि(Rashi) को आधार बनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति की तरह ज्योतिष(Astrology) भी वेदों पर आधारित है। वेदों में धर्म, चिकित्सा , खगोल, भौतिक , रसायन विज्ञान जैसे विषयों का विस्तृत वर्णन मिलता है। वेदों से जन्म लेने के कारण इसे वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) में 12 राशियों का विधान है जैसे मेष(Aries), वृष(Taurus), मिथुन(Gemini), कर्क(Cancer), सिंह(Leo), कन्या(Virgo), तुला(Taurus), वृश्चिक(Scorpio), धनु(Sagittarius), मकर(Capricorn), कुम्भ(Aquarius), मीन(Pisces)| इसी तरह नौ ग्रह(Grah) होते हैं सूर्य(Sun), चन्द्रमा(Moon), बुध(Mercury), मंगल(Mars), शुक्र(Venus) ,बृहस्पति(Jupiter) ,शनि(Saturn) ,राहु और केतु | राशियों का निर्माण नक्षत्रों से हुआ है। तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल नक्षत्रों की संख्या 27 है। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है। इनका वास्तविक अस्तित्व नहीं है। चन्द्रमा के उत्तरी छोर को राहु और दक्षिणी छोर को केतु कहा जाता है |
राशि(Rashi) चक्र को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि हमारा सौरमंडल 360 डिग्री का है और उसको 12 राशियों में बांटें तो प्रत्येक राशि(Rashi) 30 डिग्री की बनती है ,पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है। पृथ्वी पश्चिम से पूरब दिशा में घूमती है। इस कारण सभी ग्रह, नक्षत्र और राशियाँ 24 घंटे में एक बार पूरब से पश्चिम दिशा में घूमती हुई दिखाई देती हैं।जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है उस समय अक्षांश और देशांतर में जो राशि पूर्व दिशा में उदित होती है वह राशि(Rashi) व्यक्ति का जन्म लग्न कहलाती है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि(Rashi) में बैठा होता है उस राशि को जन्म राशि या चंद्र लग्न कहते हैं।
राशि – स्वभाव एवं गुण-दोष
राशि(Rashi) चक्र में कुल 12 राशियां होती हैं इसी के आधार पर कुंडली(Kundli) में 12 खाने होते हैं , जिसे घर कहा जाता है| आपके जन्म के समय जो राशि(Rashi) पूर्व में उदित हो रही होती है उसी राशि(Rashi) को कुंडली(Kundli) के पहले खाने (घर) में रखा जाता है जिसे जन्म लगन भी कहा जाता है | प्रत्येक राशि(Rashi) का अपना एक स्वभाव होता है , कौन सी राशि(Zodiac Sign) किस घर में है उस राशि(Rashi) में कौन सा ग्रह बैठा है, उस ग्रह कि दृष्टि किन किन घरों पर पड़ रही है , कौन सा ग्रह(Grah) किस अंश पर है और उसके क्या प्रभाव हैं , ऐसी बहुत सारी बातों की जानकारी हम आपको देंगे , लेकिन सबसे पहले ये जान लेते हैं कि प्रत्येक राशि(Rashi) का अपना गुण स्वभाव क्या है ? क्योंकि आपकी राशि, आपके बारे में बहुत कुछ बताती है। इसके द्वारा आपके स्वभाव, व्यक्तित्व और आपकी आदतों को जाना जा सकता है। राशि(Rashi) के प्रभाव से व्यक्ति के अंदर गुण व दोष देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं .....
मेष
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में मेष(Aries) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मेष(Aries) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक मंगल ग्रह से प्रभावित होता है| क्योंकि मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल(Mars) होता है। मंगल ग्रह(Grah) जीवन में पराक्रम और उत्साह का कारक होता है। इसको स्थिर राशि(Rashi) की श्रेणी में डाला जाता है एवं इसका गुण अग्नि प्रधान होता है |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार मेष(Aries) राशि(Rashi) के स्वभाव में क्रोध और आक्रामकता होती है | यदि किसी व्यक्ति की कुंडली(Kundli) के पहले खाने (घर) में नंबर 1 लिखा हो इसका मतलब आपका जन्म लग्न मेष है | मेष लग्न व्यक्ति को ऊर्जावान और ताकतवर बना देता है । ऐसे लोगों में गजब की नेतृत्व शक्ति पाई जाती है।मंगल(Mars) ग्रह से प्रभावित होने के कारण मेष लग्न आपको मजबूत और आकर्षक शरीर का बनाता है। आपके सुन्दर नाक नख्श व स्पष्ट ठोड़ी वाले होने की संभावनाएं होती है।
कुंडली(Kundli) के पहले घर में मेष(Aries) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मेष राशि में हो तो ऐसे लोग औसत ऊंचाई और घुंघराले बाल वाले और शारिरिक रूप से मजबूत होते हैं। आपकी शारीरिक बनावट से आपकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। साधारणतया आपके बाल भूरे होते हैं | ऐसे लोगों का सबसे खास गुण उनकी शक्ति और किसी कार्य की पहल करने को हमेशा तैयार रहना है। ऐसे जातक निर्भीक और जन्मजात नेतृत्व क्षमता रखते है।
मेष(Aries) लग्न के लोग मंगल(Mars) ग्रह से प्रभावित होने के कारण दूसरों के आदेश को पसंद नहीं करते। ऐसे लोग एक स्पष्ट वक्ता होने के साथ साथ अक्सर बड़बोलेपन के शिकार होते हैं.। कुछ अवधि के लिए आपमें अव्यवहारिकता का भाव भी आ सकता है। जिसके कारण आप आसानी से किसी भी बहस या झगडें के शिकार हो सकते है। उतावलापन और शारीरिक समर्पण के कारण दुर्घटना और शारीरिक चोटों की संभावना भी आपके साथ बनी रहती है |
कुंडली(Kundli) के पहले घर में मेष(Aries) राशि(Rashi) के लोग काफी जिद्दी होते है और आवेग में आ जाने के कारण कभी कभी आपको कुछ गंभीर परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।अचानक क्रोधित होने के कारण लोगों को अवाक कर देते हैं ,लेकिन आपको आसानी से बहला फुसलाकर शांत किया जा सकता है। ऐसे जातक कला के बड़े प्रशंसक हो सकते है। आप तब तक आराम नहीं करते जब तक आप निश्चित लक्ष्य को पाने में सफल नहीं हो जाते है।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार मेष लग्न के लोगों को सिरदर्द ,नसों का दर्द,और अवसाद ,अपच , स्नायु संबंधी और बवासीर की शिकायत आपके कष्ट का कारण बन सकती है | मेष(Aries) राशि(Rashi) की महिलाएं हर रिश्तों में हमेशा हावी रहती हैं। वहीं मेष राशि के पुरुष स्पष्टभाषी होते हैं और उन्हें अपने फैसलों पर पूरा विश्वास होता है। ये लोग अपनी प्रशंसा और पहचान से खुश होते हैं और उसके लिए निरंतर कोशिश करते हैं। इन लोगों को आसानी से नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है। आपके सिर या चेहरे पर पैदाइशी निशान हो सकते हैं।आपको उच्च रक्तचाप आदि रोगों के प्रति सावधान रहना चाहिए।
वृष
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में वृष(Taurus) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) वृष(Taurus) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक शुक्र(Venus) ग्रह से प्रभावित होता है | वृष(Taurus) राशि(Rashi) का स्वामी शुक्र(Venus) ग्रह होता है | राशि(Rashi) चक्र में दूसरे नंबर पर वृष(Taurus) राशि(Rashi) आती है | वृष राशि के जातक मजबूत और सशक्त व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इस लगन में जन्मे लोग शांत, कोमल और कुशाग्र बुद्धि के स्वामी होते हैं.|
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार वृष(Taurus) राशि(Rashi) के जातक आमतौर पर सुंदर कद काठी, चमकदार आँख और सुंदर होठ वाले होते हैं। ऐसे जातको की शारीरिक संरचना चौकोर आकार की होती है और अक्सर पीठ पर कुछ निशान भी होते हैं। वृषभ लग्न के लोग मेलजोल वाले होते हैं और अपनी पसंद की हर वस्तु आसानी से पाना चाहते हैं |
कुंडली(Kundli) के पहले घर में वृष(Taurus) राशि(Rashi) के जातक कठोर और दृढ निश्चयी होते हैं और दूसरों पर हावी रहना चाहते हैं |शुक्र(Venus) ग्रह से प्रभावित होने के कारण धन,संपत्ति और ख्याति प्राप्त करना पसंद करते हैं , लेकिन अपनी दिनचर्या में किसी भी तरह का परिवर्तन पसंद नहीं करते.|
अक्सर देखा गया है कि बुरे वक्त में वृष(Taurus) राशि(Rashi) के जातक गन्दी आदतों का शिकार हो जाते हैं| हालाँकि वृषभ लग्न आपको एक मजबूत और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। लेकिन गुर्दे,गुप्तांग, मूत्राशय और गले में होने वाले रोगों से आपको सतर्क रहना चाहिए। आप तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।शुक्र(Venus) ग्रह से प्रभावित होने के कारण आपको कभी कभी यौन रोग अपने प्रभाव में ले सकते है। आपको अक्सर नए दोस्त बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण आप नए लोगों से मिलने में संकोच करते हैं।
कुंडली(Kundli) के पहले घर में वृष(Taurus) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) वृष(Taurus) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे जातक विश्वसनीय और व्यवहारिक प्रकृति के होते है और यही स्वभाव आपको कारोबार में आपको अच्छी सफलता दिला सकता है। आप सभी क्षेत्रों में भौतिक सुख प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं और आप काफी उद्यमी प्रकृति के भी हो सकते है।आपके व्यक्तित्व में कामुकता का भाव भी हो सकता है।|
मिथुन
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में मिथुन(Gemini) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मिथुन(Gemini) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक बुध(Mercury) ग्रह से प्रभावित होता है | राशि(Rashi) चक्र में तीसरे नंबर पर मिथुन(Gemini) राशि(Rashi) आती है यह द्विस्वभाव वाली राशि है जिसका मालिक बुध(Mercury) ग्रह है । मिथुन लगन के जातकों का व्यक्तित्व चुम्बकीय होता है |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में बुध(Mercury) ग्रह वाणी का कारक होता है इसलिए ऐसे जातको में कम्युनिकेशन स्किल्स भरी होती हैं और वे अपनी बातों से लुभाने वाले होते हैं। ऐसे लोग दुबले कद काठी के, औसत लंबी ऊचाई वाले होते हैं। लेकिन आकर्षक व्यक्तित्व होने का बावजूद आपको रोग और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। तंत्रिका तंत्र और श्वांस से संबंधित, खासकर सुनने की समस्या से ऐसे जातक ग्रसित हो सकते हैं |
कुंडली(Kundli) के पहले घर में मिथुन(Gemini) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मिथुन(Gemini) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे लोगों में कभी कभी घबराहट,निराशावाद,दब्बूपन और अधीरता की प्रवृति आ सकती है। क्षय रोग,दमा और एनीमिया जैसे रोग समस्याएं बन सकते है। द्वि स्वभाव राशि होने की वजह से इन्हें समझना थोड़ा मुश्किल होता है , क्योंकि ये एक क्षण में गुस्सा करते हैं और दूसरे पल शांत हो जाते हैं|
बुध(Mercury) ग्रह से प्रभावित होने के कारण मिथुन(Gemini) राशि के जातक बुद्धिजीवी और स्वतंत्र होते हैं | बुध परिवर्तन और संचार का कारक है इसलिए मिथुन(Gemini) राशि के लोगों की भाषा शैली अच्छी होती है और कोई भी चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाते हैं और कुछ रहस्यमयी कार्य करते हैं | मिथुन राशि(Rashi) के जातक मीडिया और कला क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
कर्क
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में कर्क(Cancer) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) कर्क(Cancer) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक चन्द्रमा(Moon) ग्रह से प्रभावित होता है | राशि(Rashi) चक्र में चौथे नंबर की राशि कर्क(Cancer) राशि है | जल तत्त्व की इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है जो कि कल्पनाशीलता का कारक ग्रह(Grah) है | कर्क लगन के जातक अपने चाहने वालों के लिए अति प्रेमी, विश्वास योग्य और उनकी परवाह करने वाले होते हैं। बदले में ऐसी ही उम्मीद इन्हें अपने साथी से रहती है।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार चन्द्रमा(Moon) से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक एक कुशल कूट-नीतिज्ञ और बुद्धिमान होते हैं और इनकी यादाश्त शक्ति भी बहुत मजबूत होती है, लेकिन मितभाषी होने के कारण कभी-कभार ये कई ऐसे मौक़े गंवा देते हैं जिसमें ये बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। ये सेहत से ज़रुर थोड़े नाज़ुक होते हैं लेकिन कल्पना शक्ति के धनी होते हैं।कुंडली(Kundli) में कर्क(Cancer) लग्न के प्रभाव से आपको भावनात्मक समस्या जैसे अवसाद,हाइपोकोनड्रिया और हिस्टीरिया आदि रोग हो सकते है।
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) से प्रभावित होने के कारण और कर्क(Cancer) राशि(Rashi) की अति संवेदनशीलता आपकी पाचन शक्ति को कमजोर कर सकता है जिससे अन्य पेट सम्बंधित रोग होने की संभावनाएं बनी रहती हैं | ऐसे जातको को कफ, अपच, गैस,पेट, लीवर और आंतों से संबंधित सामान्य समस्याएं होने की संभावना भी बनी रहती है | कर्क लगन के जातकों के लिए परिवार और रिलेशनशिप बहुत मायने रखता है इसलिए कभी कभार ये अपने पार्टनर पर ज्यादा अधिकार जताने का प्रयास करते हैं| इसके अतिरिक्त कर्क लगन के जातक तीक्ष्णबुद्धि, सहृदयी और चंचल स्वभाव के होते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में कर्क(Cancer) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) कर्क(Cancer) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे लोगों में अंतरज्ञान, भावनाएं, और सपने देखने की प्रवृति हो सकती है और कुछ आध्यात्मिक गुण भी पाए जाते हैं | ऐसे जातक संबंधों को लेकर काफी जबाबदेह होते हैं और स्वभाव से सरल, संवेदनशील, दयालु और घरेलू प्रवृति के होते है। भावनात्मक प्रवृति का होने के कारण ऐसे लोग किसी की गलती को कभी नहीं भूलते है। ये अपने प्यार की ख़ुशियों के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहते हैं।
सिंह
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में सिंह(Leo) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) सिंह(Leo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक सूर्य (Sun) ग्रह से प्रभावित होता है | राशि(Rashi) चक्र में पांचवीं राशि(Rashi) सिंह(Leo) है जिसका स्वामी सूर्य है। सिंह(Leo) राशि(Rashi) के जातकों में जन्मजात नेतृत्व क्षमता का गुण होता है और व्यक्तित्व बेहद जोशीला एवं आकर्षक होता है। सिंह लगन के जातक साहसी, दृढ़-निश्चयी एवं शाही अंदाज़ वाले होते हैं। सिंह लग्न के लोग करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक होते हैं और आपके व्यक्तित्व से लोग काफी आकर्षित होते हैं।
कुंडली(Kundli) में अक्सर देखा गया है कि सूर्य(Sun) ग्रह से प्रभावित होने के कारण सिंह(Leo) लगन के जातकों के सर के बाल 40 की उम्र तक आते आते झड जाते हैं| लेकिन जोश और जूनुन बना रहता है। सिंह लग्न के जातको को दिल का दौरा पड़ने की संभावना बनी रहती है| इसके अलावा पीठ में दर्द, फेंफडे संबधी समस्याएं, रीढ की हड्डी से जुडी हुई समस्याएं, बुखार, जलन तथा मानसिक तनाव से आपके हृदय को नुकसान पहुंच सकता है| आंखों के विकार भी हो सकते हैं।
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) सिंह(Leo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे जातक आक्रामक प्रवृति के भी हो सकते हैं| क्योंकि आपके आदर्शों और निजी आलोचनाओं के प्रति आप काफी संवेदनशील होते हैं और ऐसी आलोचनाओं को आप बर्दाश्त नहीं कर पाते |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में सिंह(Leo) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) सिंह(Leo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे जातक आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक तथा महत्वाकांक्षी, साहसी, मजबूत इच्छाशक्ति, स्वतंत्र और आत्म विश्वास से भरपूर होते हैं |आपको क्या चाहिए और आप उसे पाने के लिए पूरे मन और रचनात्मक तरीके से उसे पूरा करते हैं।
कुंडली(Kundli) में सिंह(Leo) राशि(Rashi) और सूर्य(Sun) ग्रह से प्रभावित होने के कारण आप स्वभाव से खरी खरी बात करने वाले और स्वभाव से जिद्दी हो सकते हैं | व्यक्तित्व बेहद जोशीला एवं आकर्षक होता है। ये बेहद रोमांटिक पार्टनर होते हैं। स्वभाव से ईमानदार होते हैं और एक मित्र के रूप में ये सच्चे साथी होते हैं। इनके जीने का अंदाज़ एक राजा की तरह होता है।
कन्या
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में कन्या(Virgo) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) कन्या(Virgo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक बुध(Mercury) ग्रह से प्रभावित होता है | राशि(Rashi) चक्र में छठी राशि(Rashi) कन्या(Virgo) राशि है जिसका स्वामी बुध ग्रह(Grah) होता है| यह पृथ्वी तत्व की राशि(Rashi) है ,इसे द्विस्वभाव राशि(Rashi) माना जाता है |
कुंडली(Kundli) में कन्या(Virgo) लग्न के जातक बुध(Mercury) ग्रह से प्रभावित होने के कारण विनम्र और मृदुभाषी होते हैं| संयमित रहते हैं और किसी भी समस्या के समाधान के लिए तर्कसंगत उपाय खोजने वाले होते हैं । इनमे इतनी क्षमता होती है कि किसी मुद्दे को समझ सकें और सबसे कठिन से कठिन समस्या का हल कर सकें, इनकी विनम्रता को कभी कभी कमजोरी और जोड़तोड़ वाला मान लिया जाता है।
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) कन्या(Virgo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे लोगों की शारीरिक बनावट खासकर चेहरा खूबसूरत होता है। आप सोचसमझकर दोस्ती करना पसंद करते हैं। कन्या लगन के जातकों को आंत और कब्ज की शिकायत हो सकती है इसके अलावा यौन अंगों में परेशानी हो सकती है। आपको अपने खान पान के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में कन्या(Virgo) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) कन्या(Virgo) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे जातकों में दूसरों की सहायता करने का गुण पाया जाता है जो की कई बार इनके लिए हानि का कारण बन जाता है। हालाँकि ये अपनी भावनाओं को दबाकर रखते हैं लेकिन यदि इस राशि के जातक किसी बात को मन में ठान लें तो उसे ये बड़ी ख़ूबसूरती से अंजाम देते हैं। स्वभाव से ये परफ़ेक्शनिस्ट, आलोचक एवं रूढ़िवादी विचार के होते हैं।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में कन्या(Virgo) लग्न के जातक बुध(Mercury) ग्रह से प्रभावित होने के कारण तीव्र गति से सोचने वाले और प्रतिक्रियावादी होते हैं | कुल मिलकर ऐसे जातक अच्छे समीक्षक होते हैं और वफ़ादार साथी होते हैं।
तुला
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में तुला(Libra) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) तुला(Libra) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक शुक्र(Venus) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में सातवीं राशि(Rashi) तुला(Libra) राशि(Rashi) होती है जिसका स्वामी शुक्र ग्रह(Grah) होता है |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) तुला(Libra) राशि(Rashi) में होने और शुक्र(Venus) ग्रह(Grah) से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक खुशमिजाज और आकर्षक होते हैं| अमोद प्रमोद और कलात्मक रूचि रखने वाले ऐसे जातक अन्य राशियों के जातकों से ज़्यादा कूटनितिज्ञ और संवेदनशील होते हैं। बढ़िया और महँगी चीजों की तरफ ज्यादा झुकाव रहता है | हालांकि ऐसे जातक संवेदनशील होते हैं लेकिन इनको गरिष्ठ भोजन और शराब के सेवन से बचना चाहिए |
कुंडली(Kundli) में तुला(Libra) राशि(Rashi) और शुक्र(Venus) ग्रह(Grah) से प्रभावित होने के कारण महिलाएं काफी आकर्षक होती हैं और पुरूष काफी जोशीले होंते हैं। कलात्मक रूचि वाले ऐसे जातक कभी- कभी ऐसी योजना बनाते हैं जो हवा में महल बनाने के समान होती है, हालाँकि ये लोग प्रैक्टिकल और आदर्शवादी होते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार चन्द्रमा(Moon) तुला(Libra) राशि(Rashi) में होने और शुक्र(Venus) ग्रह(Grah) से प्रभावित होने के कारण शांतिप्रिय प्रकृति के ऐसे जातक कल्पनाओं को साकार करने वाले और मीडिया , सिनेमा में सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं | तुला को संतुलन भी कहा जा सकता है इसलिए ऐसे जातक अपने जीवन में भी संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं चाहे वो सामाजिक सरोकार हो या प्रेम संबंधों का मामला हो ये हर जगह संतुलन बनाये रखना पसंद करते हैं|
वृश्चिक
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में वृश्चिक(Scorpio) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) वृश्चिक(Scorpio) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक मंगल(Mars) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में आठवीं राशि(Rashi) वृश्चिक(Scorpio) होती है| स्थिर स्वाभाव और जल तत्व की इस राशि(Rashi) का स्वामी मंगल ग्रह(Grah) होता है | यूँ तो मंगल(Mars) ग्रह(Grah) मेष राशि(Rashi) का भी स्वामी होता है लेकिन दोनों राशियों के गुणों में जमीन आसमान का अंतर होता है |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) वृश्चिक(Scorpio) राशि(Rashi) में और मंगल(Mars) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे लोगों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है| ये अपनी भावनाओं को छुपाकर रखते हैं, इसलिए इन्हें समझना थोड़ा कठिन होता है। वृश्चिक लग्न के जातकों को प्रजनन अंगों से सम्बंधित रोगों से पीड़ा हो सकती है। बवासीर और अल्सर जैसे रोगों के अलावा जिगर और गुर्दे के रोग भी परेशान कर सकते है।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) वृश्चिक(Scorpio) राशि(Rashi) में हो तो ऐसे जातक शंकालु स्वाभाव के होने के साथ साथ ईर्ष्यालु भी हो जाते हैं इसीलिए इस राशि के जातक रिलेशनशिप में हमेशा कश्मकश की स्थिति में रहते हैं। हालाँकि इनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर कमाल का होता है और अपने काम में ये एक दम कुशल होते हैं। लव रिलेशन में ये लोग जुनूनीयत से भरे होते हैं | ऐसे जातकों को या तो पूरी तरह सफलता मिलती है या आप पूरी तरह से असफल रहते हैं।
मंगल(Mars) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक स्वभाव से जिद्दी, घमंडी होते हैं और अपनी जिंदगी अपने अंदाज से जीना चाहते हैं | लुभावनी आंखों वाले ऐसे जातकों की शारीरिक बनावट काफी अच्छी होती है | ऐसे जातकों की सबसे बड़ी विशेषता गोपनीयता और गंभीरता होती है क्योकि आप किसी भी विषय की गहराइयों में उतर सकते हैं | आपके अनेक प्रेम प्रसंग हो सकते हैं |
धनु
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में धनु(Sagittarius) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) धनु(Sagittarius) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में नौवीं राशि(Rashi) धनु(Sagittarius) होती है द्विस्वभाव की इस राशि(Rashi) का स्वामी बृहस्पति(Jupiter) ग्रह(Grah) है |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) धनु(Sagittarius) राशि(Rashi) में होने और बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे लोग हंसमुख स्वाभाव और आध्यात्मिक प्रवृति के होते हैं। आशावादी, महत्वाकांक्षी, उत्साही और खर्चीले होते हैं, प्रतिकूल परिस्थितियों में आप असंयमित हो सकते हैं और दूसरे लोग अनजाने में आपको गलत समझ लेते हैं क्योंकि आप बातचीत में जल्दबाजी करते हैं। धनु लग्न के जातक मजबूत कद काठी के होते हैं। वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार आपका व्यक्तित्व ऊर्जवान और लुभावना होता है। उदार और न्यायिक प्रवृति के ऐसे जातक ईमानदार और अध्यात्म की और झुकाव वाले होते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) धनु(Sagittarius) राशि(Rashi) में होने के कारण ऐसे लोग मजबूत इच्छाशक्ति वाले ऐसे जातक यात्राएं करना पसंद करते हैं और आसपास की जानकारी इकठा करने में रूचि लेते हैं| इसी जानकारी और अनुभव को दुसरे लोगों में बांटने का प्रयास भी करते हैं |
बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होने के कारण धनु लगन वाले जातक आज़ाद ख्यालों के साथ साथ बड़े दिल वाले होते हैं | धार्मिक और बुद्धिमान होने के बावजूद इनके मन और शरीर के बीच द्वन्द की स्थिति बनी रहती है | इनके लिए सबसे अच्छा प्रोफेशन अध्यापन, वकील या प्रीचर हो सकता है | धनु लगन के जातकों को पीठ , कूल्हों और जाँघों के रोग होने की सम्भावना बानी रहती है |
मकर
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में मकर(Capricorn) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मकर(Capricorn) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में दसवीं राशि(Rashi) मकर(Capricorn) होती है | इस राशि(Rashi) का स्वामी शनि(Saturn) ग्रह है | मकर लगन के जातक सेल्फ सेण्टरेड और जिद्दी हो सकते हैं ऐसे जातक दूसरे लोगों की बातें नहीं सुनते और अक्सर धार्मिक होने का दिखावा करते हैं |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) मकर(Capricorn) राशि(Rashi) में होने और शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक आत्मस्वाभिमानी होने के साथ साथ जिम्मेदार और व्यावहारिक होते हैं |शनि(Shani) ग्रह के कारण ऐसे जातक काम के प्रति जुनूनी और अच्छी संगठन क्षमता रखते हैं | महत्वाकांक्षी और भौतिकतावादी होने के बावजूद दार्शनिकता का भाव हमेशा बना रहता है , इसीलिए इनमे तार्किक गन बेहद प्रबल होते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार चन्द्रमा(Moon) मकर(Capricorn) राशि(Rashi) में होने और शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातकों के व्यक्तित्व से परिपक्वता और मजबूती का आभास होता है। मकर लगन के जातक की याददास्त बहुत अच्छी होती है और वो एक अच्छे कहानीकार भी हो सकते हैं | क्योंकि इस राशि का स्वामी शनि(Shani) ग्रह(Grah) है इसलिए ऐसे जातक गहरी सोच रखने वाले , व्यवस्थित और व्यापार के मामले में बहुत सावधान रहते हैं |
शनि(Shani) ग्रह से प्रभावित ऐसे जातको को श्वांस और आंखो की बीमारी के अलावा उच्च रक्त चाप की परेशानी हो सकती है, आपको जोड़ो, चर्म रोग, और तंत्रिका जैसे रोग भी पीड़ित कर सकते हैं। संदेह करना और अपने स्वार्थ को आगे रखना एक नकारात्मक पह्रलू है लेकिन ऐसे जातक बहुत ही महत्वाकांक्षी और अपने जिम्मेदारिओं को समझने वाले होते हैं |
कुंभ
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में कुंभ(Aquarius) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) कुंभ(Aquarius) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में ग्यारहवीं राशि(Rashi) कुंभ(Aquarius) है जिसका स्वामी शनि(Shani) होता है।
शनि(Shani) न्याय का देवता है और धीरे धीरे चलता है इसीलिए इसको शन्यैश्चर भी कहा जाता है | कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) कुंभ(Aquarius) राशि(Rashi) में होने और शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक काफी समझदार और दयालु होते हैं| इसीलिए मित्र बनाना और सामाजिक भलाई के काम करना इनको अच्छा लगता है| हालाँकि इनको अपने काम में दखलंदाज़ी बिलकुल भी पसंद नहीं होती |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार चन्द्रमा(Moon) कुंभ(Aquarius) राशि(Rashi) में होने और शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित होने के कारण ऐसे जातक एक अच्छे टीम लीडर और टीम प्लेयर साबित होते हैं| कई बार देखा गया है की ये लोग अपने सपनों में खोये रहते हैं और अक्सर अपनी भावनाओं को साँझा नहीं करते | कुंडली(Kundli) में शनि(Saturn) ग्रह से प्रभावित कुम्भ(Aquarius) के जातकों को उच्च रक्तचाप और दिल की समस्याएं होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं| इसके अलावा आपको एड़ियों, संचार प्रणाली और तंत्रिका सम्बन्धी रोगों से पीड़ा होने की संभावनाएं भी बन सकती हैं |
शनि(Shani) ग्रह से प्रभावित कुम्भ(Aquarius) के जातक मितभाषी और दूरदर्शी होते हैं साथ ही साथ मजबूत इच्छाशक्ति के स्वामी होने के कारन आपको जो सही लगता है उसके लिए आखरी क्षण तक लड़ सकते हैं | ऐसे जातक अच्छे मार्गदर्शक बन सकते हैं | ऐसे जातक एक बार जिसको दोस्त बना लेते हैं उसका साथ नहीं छोड़ते और अपने दायरे से बहार निकलकर भी मदद करते हैं |
मीन
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के पहले घर में मीन(Pisces) राशि(Rashi) हो या कुंडली में चन्द्रमा(Moon) मीन(Pisces) राशि(Rashi) में हो तो ऐसा जातक बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होता है |राशि(Rashi) चक्र में बारहवीं और अंतिम मीन(Pisces) राशि(Rashi) है | जल तत्व की इस राशि का स्वामी बृहस्पति(Jupiter) है |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) मीन(Pisces) राशि(Rashi) में होने और बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होने के कारण मीन(Pisces) के जातक बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं| अहंकार से दूर रिलेशनशिप को निभाने वाले होते हैं| संवेदनशील और कलात्मक प्रवृति के ऐसे जातक अपने ऊपर किसी तरह की पाबन्दी पसंद नहीं करते | ऐसे जातक नए विचारों और एनवायरनमेंट का सम्मान करते हैं |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार बृहस्पति(Jupiter) ग्रह से प्रभावित होने के कारण मीन लगन के जातक स्पष्टवक्ता और दूसरे लोगों का ख्याल रखने वाले होते हैं | ईमानदार और दयालु प्रकृति के ये लोग भावुक होने के कारण अक्सर प्रेम प्रसंग में धोखा खा जाते हैं | कला और संगीत में रूचि रखने वाले ऐसे जातकों को अपने पैरों का खास ध्यान रखना चाहिए साथ ही साथ सूजन और मधुमेह जैसे रोग होने का खतरा बना रहता है |
कुंडली(Kundli) में चन्द्रमा(Moon) मीन(Pisces) राशि(Rashi) में होने के कारण ऐसे लोग अत्यधिक भावुक हो सकते हैं| अत्यधिक भावुक होने के कारण आपको भावनात्मक रोग होने की सम्भावना भी बनती है इसीलिए आपको आसानी से भ्रमित किया जा सकता है | व्यावहारिक, संवेदनशील और दूरदर्शी होने के बावजूद आप कट्टरवादी हो सकते हैं | तर्क की बजाय अपनी समझ से ही बातों को समझ लेते हैं | उदार और शर्मीले स्वाभाव के कारण आपको कई बार गलत समझ लिया जाता है |