रिलेशनशिप और मैरिज जानिये अपनी कुंडली से (Relationship and Marriage in Astrology) : PART-2
- By admin
- Posted in Marriage
- On April 1, 2020
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रिलेशनशिप और मैरिज जानिये अपनी कुंडली से (Relationship and Marriage in Astrology) : PART-2
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) में सम्बन्ध(Relationship) और विवाह(Marriage) के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है , रिलेशनशिप(Relationship) कब होगी , कितनी चलेगी , कैसे चलेगी ? इसी तरह शादी(Marriage) कब हो सकती है , शादी(Marriage) में देरी क्यों या विवाह(Marriage) असफल क्यों हो जाते हैं ? इसके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जिनकी चर्चा हम परत दर परत करेंगे , लेकिन सबसे पहले ये समझना जरूरी है की कुंडली(Kundli) में ऐसे कौन से योग हैं या कौन से ग्रहों की स्थिति है जिनसे हमें अपने संबंधों के बारे में अपने विवाह(Marriage) के बारे में आसानी से जानकारी हासिल हो सके ।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में चौथे , पांचवें, सातवें ,ग्यारहवें और बारहवें घर के विश्लेषण से ये सब जाना जा सकता है , क्योंकि चौथा घर हृदय का , पांचवां मन और भावनाओं का , सातवां अपोजिट सेक्स और रिश्तों का ,आठवां सीक्रेसी का,गुप्त सम्बन्ध(Relationship) का , ग्यारहवाँ दोस्ती और सोशल सर्किल का जबकि बारहवाँ घर शयन सुख का माना जाता है । इन सब घरों में बैठे ग्रह(grah) , उन पर अन्य ग्रहों की दृष्टि, उनका आपसी सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन में बनने वाले संबंधों और विवाह(Marriage) के लिए रेस्पोंसिबल माने जाते हैं । 5 वे और 7 वे घरों के मालिक अगर स्थान परिवर्तन करें या एकसाथ इन दोनों घरों में बैठे हों तो प्रेम(Love) विवाह(Marriage) का अद्भुत संयोग बनता है । इसी तरह इन दोनों घरों के मालिक अगर राहु(Rahu) के साथ बैठ जाएँ तो हृदय में प्रेम(Love) का आवेग बढ़ जाता है और प्रेम(Love) विवाह(Marriage) का योग(Yog) बनता है ।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में शुक्र , बुध और चन्द्रमा व्यक्ति को कोमल भावनाएं देने वाले ग्रह(Grah) हैं अगर इनका मिलन पांचवें घर में हो जाये तो अपोजिट सेक्स की तरफ ज्यादा आकर्षण महसूस होता है और प्रेम(Love) विवाह(Marriage) का कारण बन जाता है । प्रेम(Love) और सम्बन्ध(Relationship) के मामले में शुक्र को सबसे बड़ा कारक माना जाता है खासकर पुरुष की कुंडली(Kundli) में अगर शुक्र का शनि(Shani) या मंगल के साथ सम्बन्ध बनता है तो मल्टीप्ल रिलेशन की तरफ इशारा करता है । कुंडली(Kundli) में शुक्र की स्थिति अपोजिट सेक्स के प्रति आपके माइंड सेट को भी बताती है । वंही शुक्र और चन्द्रमा अगर एक साथ बैठे हो या एक दुसरे को देख रहे हों तो एक कवि हृदय का जन्म होता है और बहुत की शानदार और सुंदर संबंधों(Relationship) की तरफ इशारा करता है खासकर चौथे या पांचवें घर में बैठे हों तो समबन्धों को एक अलग ही ऊंचाई मिलती है ।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में गुप्त प्रेम(Love) या गुप्त सम्बन्ध(Relationship) के मामले में आठवां घर बहुत महत्वपूर्ण होता है , अगर पांचवें या सातवें घर का मालिक आठवें घर के मालिक से सम्बन्ध बनाये तो समबन्धों में बड़ी गुप्तता होती है और कई बार बड़े स्कैंडल हो जाते हैं । महिलाओं की कुंडली(Kundli) में बृहस्पति का सम्बन्ध अगर शनि(Shani) , मंगल या राहु से बन रहा हो तो ये अनकन्वेंशनल अप्प्रोच को जन्म देता है इसलिए जातक दिल की सुनता है दिमाग की नहीं । इसके अलावा मंगल-शुक्र, मंगल -राहु, राहु-शुक्र या शुक्र-शनि की युति अगर 4,5,7,8,12 में बन रही हो तो अनेक संबंधों (मल्टीप्ल रिलेशन) की तरफ इशारा करता है ।
रिलेशनशिप(Relationship) कब होगी , कितनी चलेगी , कैसे चलेगी ? इसी तरह शादी(Marriage) कब हो सकती है , शादी(Marriage) में देरी क्यों या विवाह(Marriage) असफल क्यों हो जाते हैं ? इसके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जिनकी चर्चा हम परत दर परत करेंगे |