बुध सातवें घर में (Mercury in Seventh House)

बुध सातवें घर में (Mercury in Seventh House)

कुंडली में बुध सातवें घर में(Mercury in Seventh House) बैठा हो तो क्या परिणाम हो सकते हैं। ये जानने से पहले बुध ग्रह और सातवे घर के बारे में जान लेना जरुरी है।वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के सातवें घर(Seventh House) से पति-पत्नी, सेक्स, पार्टनरशिप , लीगल कॉन्ट्रैक्ट आदि का विचार किया जाता है। इस भाव को मारक भाव भी कहा जाता है | वहीँ बुध(Mercury) ग्रह वाणी का कारक ग्रह है | बुध ग्रह से कला, निपुणता, सत्य वचन, शिल्पकला, मीडिया, मित्र,ज्योतिष, कानून, व्यवसाय, लेखन कार्य, अध्यापन, गणित, संपादन, प्रकाशन, खेल, वात, पित, कफ , हरे रंग का विचार किया जाता है | बुध ग्रह उत्तर दिशा , कन्या एवं मिथुन राशियों का स्वामी होता है | बुध कन्या राशि में उच्च तथा मीन राशि में नीच माना गया है साथ ही साथ चतुर्थ भाव का कारक भी होता है। बुध ग्रह को स्पष्टवक्ता, रजोगुणी, पृथ्वी तत्व, नपुंसक ग्रह माना गया है | ये पापी ग्रहों के साथ पापी एवं शुभ ग्रहों के साथ शुभ फल देता है।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में बुध सातवें घर में(Mercury in Seventh House) अगर बलवान होकर बैठा हो तो व्यक्ति को व्यापार में सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान होते हैं और उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत ही शानदार होती है। हालाँकि सातवें घर के कारक और बुध ग्रह के कारक एक दूसरे के लिए भ्र्म की स्थिति पैदा कर सकते हैं। क्योंकि सातवां घर(Seventh House) सार्वजनिक स्थान है जहां व्यक्ति को एक दूसरे के साथ सम्बन्ध स्थापित करना है। ऐसे में पार्टनर के साथ, व्यापारी साझेदार के साथ वाद विवाद की स्थिति बन सकती है। लेकिन अगर दूसरे ग्रहों का साथ मिल रहा हो तो बुध(Mercury) ग्रह अपने सेंस ऑफ़ हूयमर से बातों को संभाल सकता है। बुध नई चीजों, नए विचारों की तलाश में रहता है। अपने विचार भी बहुत जल्दी जल्दी बदल सकता है।ऐसे लोगों के लिए जीवन साथी का चुनाव बहुत मुश्किल हो सकता है।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के सातवें घर(Seventh House) में अगर बुध(Mercury) ग्रह कन्या राशि में हो तो ऐसे लोग विनम्र और मृदुभाषी होते हैं संयमित रहते हैं और किसी भी समस्या के समाधान के लिए तर्कसंगत उपाय खोजने वाले होते हैं । इनमे इतनी क्षमता होती है कि किसी मुद्दे को समझ सकें और सबसे कठिन से कठिन समस्या का हल कर सकें, इनकी विनम्रता को कभी कभी कमजोरी और जोड़तोड़ वाला मान लिया जाता है। ऐसे लोगों की शारीरिक बनावट खासकर चेहरा खूबसूरत होता है।बुध सातवें घर में(Mercury in Seventh House) अगर बलवान होकर बैठा हो तो ऐसे लोग सोचसमझकर दोस्ती करना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को यौन अंगों में परेशानी हो सकती है। ऐसे जातकों में दूसरों की सहायता करने का गुण पाया जाता है जो की कई बार इनके लिए हानि का कारण बन जाता है। हालाँकि ये अपनी भावनाओं को दबाकर रखते हैं लेकिन यदि किसी बात को मन में ठान लें तो उसे ये बड़ी ख़ूबसूरती से अंजाम देते हैं।

कुंडली में बुध सातवें घर में(Mercury in Seventh House) अगर बलवान होकर बैठा हो तो स्वभाव से ये परफ़ेक्शनिस्ट, आलोचक एवं रूढ़िवादी विचार के होते हैं। ऐसे व्यक्ति तीव्र गति से सोचने वाले और प्रतिक्रियावादी होते हैं | कुल मिलकर ऐसे जातक अच्छे समीक्षक होते हैं और वफ़ादार साथी होते हैं। कुंडली(Kundli) के सातवें घर में बैठे बुध ग्रह के लोगों को कॉन्ट्रैक्ट या लीगल पेपर्स को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए।

कुंडली(Kundli) के सातवें घर(Seventh House) में बैठे कमजोर बुध(Mercury) के नकारात्मक पक्ष की बात करें तो ऐसे लोगों की जीवन साथी के साथ पटरी नहीं बैठ पाती। व्यापार और साझेदारी में भी विवाद बना रह सकता है। ऐसे लोगों के विवाह के अतिरिक्त प्रेम सम्बन्ध हो सकते हैं। इनकी सार्वजनिक छवि एक बुरे इंसान के रूप में हो सकती है। ऐसे लोग द्विअर्थी बातें बोल सकते हैं।बुध सातवें घर में(Mercury in Seventh House) अगर कमजोर होकर बैठा हो और उसके नकारात्मक परिणामों की बात करें तो ऐसे लोग दूसरों की बातों को नजरअंदाज कर सकते हैं। दूसरों के दृष्टिकोण को समझने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते। ऐसे लोगों को तंत्रिका तंत्र और यौन रोगों से संबंधित समस्या हो सकती है। इसके अलावा कभी कभी घबराहट,निराशावाद,दब्बूपन और अधीरता की प्रवृति आ सकती है।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार बुध(Mercury) ग्रह(Grah) से मतिभ्रम, नाड़ी कंपन, चर्मरोग,दिमाग, फेंफडे,शरीर की स्नायु तंत्र प्रक्रिया, अस्थमा, गूंगापन, जीभ, बुद्धि, वाणी का विचार किया जाता है | बुध एक तटस्थ ग्रह है जो जिस ग्रह की संगति में आता है उसके अनुसार जातक को फल देता है। बुध ग्रह को तर्क शक्ति, संचार और मित्र का कारक माना गया है। बुध ग्रह के नेगेटिव इफेक्ट्स तभी होते हैं जब कुंडली(Kundli) में दूसरे ग्रहों का साथ नहीं मिल रहा हो। बुध ग्रह के पॉजिटिव इफेक्ट्स भी तभी होते हैं जब दूसरे ग्रहों का साथ मिल रहा हो। बुध ग्रह से सम्बंधित मानसिक क्रियाओं और कुछ उपायों से इसके नेगेटिव इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। शेष प्रभु इच्छा।

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