सूर्य वैदिक ज्योतिष में (Sun in Vedic Astrology)

सूर्य वैदिक ज्योतिष में (Sun in Vedic Astrology)

सूर्य(Sun) के प्रकाश से ही सब प्रकाशित है | वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में सूर्य(Sun) ग्रह(Grah) को ऊर्जा, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है। सभी ग्रहों का राजा भी सूर्य(Sun) है। इसके अलावा कुंडली(Kundli) में व्यक्तित्व ,पिता,वैद,प्रतिष्ठा , सोना, ताम्बा ,युद्ध में विजय, सुख, राजसेवक, ताक़त,देवस्थान, जंगल,पहाड़, पित्त प्रकृति आदि का विचार सूर्य से किया जाता है | जातक की कुंडली(Kundli) में जब सूर्य(Sun) की स्थिति मजबूत होती है तो उसे बहुत से फायदे मिलते हैं। उसे अच्छी नौकरी, सम्मान और उच्च पद प्राप्त होता है। वह जन्मजात लीडर होता है ।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में सूर्य(Sun) ग्रह(Grah) अग्नि तत्व, पुरुष जाती, पूर्व दिशा का स्वामी, स्वभाव से प्रचंड और दिन में बलि होता है |वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में सूर्य(Sun) मेष राशि(Rashi) में 10 अंश तक उच्च और तुला राशि(Rashi) में नीच का होता है | सूर्य(Sun) का रत्न माणिक्य होता है | सूर्य से पृथ्वी की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है | सूर्य से रक्त, पित विकार, अतिसार, पेट की बीमारी ,सिर दर्द, नेत्र रोग, ज्वर, ह्रदय रोग आदि का विचार किया जाता है |

सूर्य(Sun) हमारे अहंकार, सम्मान, प्रसिद्धि, सम्मान और शक्ति का सूचक है। वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) के दसवें घर में सूर्य(Sun) ग्रह(Grah) सबसे बलवान माना जाता है। हालाँकि दुसरे केंद्र स्थानों और त्रिकोण स्थानों में भी प्रभावी होता है। सूर्य से हमें शक्ति मिलती है। सांसारिक मामलों में सफलता ,क्रियाशीलता महत्वाकांक्षा , प्रसिद्धि आदि का प्रतिनिधित्व भी सूर्य देव ही करते हैं। सूर्य हमें जीवनी शक्ति के साथ साथ प्रतिरोधक क्षमता भी देता है। सूर्य(Sun) ग्रह(Grah) से चिकित्सा का ज्ञान मिलता है। हमारी रीढ़ विशेष रूप से सूर्य से प्रभावित है जिसके दोनों तरफ इड़ा(चंद्र) और पिंगला(सूर्य) नाड़ी है और उसका एक छोर हमारे दाहिने नथुने में समाप्त होती है। चन्द्रमा , मंगल और बृहस्पति इसके प्राकृतिक मित्र ग्रह हैं।

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