कर्म और भाग्य – ज्योतिष की दृष्टि में – 2 ( Karm aur Bhagya Kya Hai – 2 )

कर्म और भाग्य - ज्योतिष की दृष्टि में -2 ( Karm aur Bhagya Kya Hai -2 )

कर्म और भाग्य क्या है- Karm Aur Bhagya kya hai : की इस कड़ी में आगे बढ़ने से पहले एक बात साफ़ हो गयी होगी कि इस जगत में कर्म(Karm) से छुटकारा संभव ही नहीं है मानसिक और शारीरिक कर्म(Karm) जारी रहते हैं, मनन और चिंतन भी कर्म(Karm) है , लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है हमारी नीयत । हम जिस नीयत से सोचते हैं या कर्म(Karm) करते है वही हमारी नियति बन जाती है तभी तो ये कहा जाता है - जैसा आप सोचते हो वैसे ही बनते चले जाते हो इसलिए अपनी सोच पर अपने विचारों पर अपने मन पर लगातार ध्यान रखना ही ज्ञान की सीढ़ी बन जाता है । हम ज्यादातर सोये हुए ही सारे काम करते हैं , ये विषय से थोड़ा अलग हो जायेगा और लम्बा भी , इसलिए इस पर चर्चा बाद की कड़ियों में होगी । लेकिन अभी लौटते हैं अपने विषय पर । मैं अपने अब तक के अध्ययन , मनन और चिंतन से इस नतीजे पर पंहुचा हूँ कि ज्योतिष(Astrology) मूलत: भविष्य की तलाश है। विज्ञान इस बात की खोज है कि काज क्या् है, कारण क्या है और ज्योतिष(Astrology) इस बात की खोज है कि एफेक्ट क्या होगा, परिणाम क्या होगा? समुन्द्र में ज्वार भाटा सूर्य और चन्द्रमा के कारण आता है आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि समुन्दर में पानी और नमक का जो अनुपात है, मनुष्य के शरीर में भी वही अनुपात है और हमारे शरीर में 70 प्रतिशत से ज्यादा पानी है । सूर्य और चन्द्रमा की किरणों और उनके चुम्बकीय प्रभाव के कारण जब इतना बड़ा समुन्द्र हिलोरें मारने लगता है तो मनुष्य इन् प्रभावों से कैसे मुक्त हो सकता है , आपने गौर किया कि नहीं लेकिन ये सर्वविदित तथ्य है कि पूर्णिमा के दिन मानसिक रोगियों की गतिविधियां तेजी से बढ़ जाती हैं , इसलिए हमारे यंहा एक शब्द प्रचलित हुआ चांदमारा या लूनाटिक (लूनर से बना है) जिसका मतलब एक तरह से पागल के लिए प्रयोग किया जाता है और वैदिक ज्योतिष(Astrology) की महत्ता और वैज्ञानिकता देखिये जिसमे चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है, इसी वैज्ञानिकता के आधार पर मंगल,शुक्र,शनि,बुध,गुरु आदि ग्रहों के कारकत्व का निर्धारण किया गया है ,सूर्य तो साक्षात् देवता हैं , और तो और आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि महिलाओं के मासिक-धर्म के चक्र का सीधा सम्बन्ध चन्द्रमा की कलाओं से है । अब तो वैज्ञानिक भी मानते है कि प्रत्येक ग्रह(Grah) की रेडियो एक्टिविटी अलग है , तरंग अलग है । गुरु , शुक्र , बुध , शनि सब ग्रहों के रेडियो एक्टिव एलिमेंट अलग हैं उनकी अपनी एक अलग ध्वनि है अपना वातावरण है । कई जाने माने गणितज्ञ और वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई भी नक्षत्र , ग्रह(Grah) या उपग्रह जब यात्रा करता है तो अंतरिक्ष में एक विशेष तरंगें और ध्वनि पैदा होती है। और प्रत्ये्क नक्षत्र, ग्रह(Grah) और उपग्रह की अपनी भी ख़ास ध्वनि पैदा होती है - इन सब ध्वनियों के ताल मेल से एक हारमनी पैदा होती है एक तरह के संगीत की लयबद्धता पैदा होती है - यही लयबद्धता और रेडियो एक्टिव एलिमेंट से एक वातावरण बनता है उस वातावरण में, उस क्षण में मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसके चित्त पर हमेशा के लिए वो अंकित हो जाता है या कहे एक पिक्चर , एक फोटो क्लिक हो जाता है । एक चिकित्सक हुए पैरासेल्सरस (जिनके नाम पर एक यूनिवर्सिटी भी है) उनकी मान्यता थी कि आदमी तभी बीमार होता है, जब उसके और उसके जन्म के साथ जुड़े हुए ग्रहों ,नक्षत्रों के बीच की लयबद्धता में कमी आ जाती है या उनका तारतम्य टूट जाता है। इसका मतलब प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर एक बिल्ट -इन व्यक्तित्व लेकर पैदा होता है वैसे ही जैसे कोई भी बीज । एक फोटो नेगेटिव इमेज के साथ जिसका अब पॉजिटिव बनना बाकी है ।आज नहीं तो कल हम इसे डिकोड कर सकते हैं , मौसम विज्ञान की तरह ज्योतिष(Astrology) में भी उपकरणों का उपयोग हो सकता है और मुझे वो दिन बहुत दूर नहीं लगता । सूर्य पर जितने भी तूफ़ान या चुम्बकीय तूफ़ान आते हैं उनका सीधा प्रभाव भी पृथ्वी पर पड़ता है , हम जान पाएं या न जान पाएं लेकिन प्रकृति सब हिसाब रख लेती है और आज के दौर में इसको लेकर जितने भी वैज्ञानिक अनुसंधान हुए हैं वो साफ़ साफ़ संकेत देते हैं कि हम उन प्रभावों से अछूते रह ही नहीं सकते । जब सूर्य पर स्पाट्स बढ़ जाते है तो जमीन पर बीमारियां बढ़ जाती है। और जब सुर्य पर काले धब्बे कम हो जाते है, तो जमीन पर बीमारियां कम हो जाती है। जब सूर्य ग्रहण होता है तो जंगलों में पक्षी और जानवरों के व्यवहार में बदलाव साफ़ देखा जा सकता है ।प्रकृति की बात कर रहे हैं तो आपको ये जानकार हैरानी होगी कि कुछ पक्षी ऐसे हैं जो हजारों मील की यात्रा करके एक निश्चित अवधि में अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं वंहा वे अपने बच्चों को जन्म देते हैं और फिर वापिस एक निश्चित अवधि के बाद लौट आते हैं इसमें सबसे ख़ास बात है कि उनके बच्चो को भी वही रास्ता याद रहता है न जाने प्रकृति उनमे कौन सा जीपीएस सिस्टम लगा देती है । समुन्दर में ऐसी मछलियां हैं जो चन्द्रमा की कलाओं के हिसाब से अंडे देती हैं , वैज्ञानिकों ने उन पर प्रयोग किये उनको भटकाने के बहुत इंतजाम किये लेकिन सब हैरान रह गए क्योंकि वो सिर्फ चन्द्रमा की कलाओं के हिसाब से ही काम करती हैं तो बड़ा सवाल उठता है उनके अंदर कौन सा जीपीएस सिस्टम काम कर रहा है । वनस्पतिविद और आयुर्वेद के जानकार चन्द्रमा की कलाओं से भली भांति परिचित हैं । इसी तरह मनुष्य के अंदर भी बहुत सारी शक्तियां हैं, खूबियां हैं जिनका उपयोग कर सकता है। चूँकि ज्योतिष(Astrology) भविष्य में देखने की प्रक्रिया है और भविष्य एकदम अनिश्चित नहीं है हाँ हमारा ज्ञान अनिश्चित हो सकता है। हमारे मन मस्तिष्क पर अज्ञान का पर्दा हो सकता है । मै अक्सर कहता हूँ ज्योतिष(Astrology) सिर्फ ग्रह-नक्षत्र की गणना नहीं है और भविष्यकथन उसका एक आयाम है । इसके अलावा प्रकृति ने मनुष्य के हाथों में, पैरों में और माथे पर रेखाएं दी , सात चक्र दिए हैं जिनकी अपनी उपयोगिता है, जिसमे मनुष्य का बीज रूप में पूरा अतीत छिपा है - अगर बीज है तो अंकुरित होकर वही पेड़ बनेगा जिसके लिए वो बना है , बीज है अतीत और पेड़ है भविष्य जिसमे फिर बीज बनने की सम्भावना है । भाग्य(Bhagya) का चक्र भी ऐसा ही है - जो बीज रूप में भविष्य की संभावनाओं के द्वार खोलता है । सही भूमि, सही वातावरण और सही देखभाल से बीज अंकुरित भी होता है और अपना चक्र भी पूरा करता है ।यंहा एक सवाल खड़ा होता है कि एक ही समय में हजारों लोग जन्म लेते हैं लेकिन सबका भाग्य(Bhagya) तो एक जैसा नहीं होता , जब भी कोई सुनामी आती है या कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो हजारो लोगों की मृत्यु हो जाती है तो क्या सभी की कुंडली में मृत्यु योग था - या आजकल एक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर ढहाया हुआ है तो क्या प्रत्येक कोरोना से मरने वाले की कुंडली में मृत्यु का योग था। इसके अलावा दो जुड़वां बच्चों का भाग्य(Bhagya) भी एक जैसा नहीं होता । ज्योतिष(Astrology) में देश, काल, परिस्थिति और दिशा का महत्वपूर्ण योगदान है, उनकी एक भूमिका है - इसकी विस्तार से हम आगे चर्चा करेंगे और जवाब तलाशेंगे लेकिन क्या हम भाग्य(Bhagya) को बदल सकते हैं ? प्रारब्ध क्या है ? ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनकी चर्चा आगे की कड़ियों में करेंगे लेकिन ज्योतिष(Astrology) के सम्बन्ध में, कर्म और भाग्य क्या है- Karm Aur Bhagya kya hai : के सम्बन्ध में बातें करना जरुरी था क्योंकि ज्योतिष(Astrology) पूर्ण विज्ञान है लेकिन समय के चक्र और सभ्यताओं के विनाश के क्रम में कुछ सूत्र छूट गए हैं जिन्हे आज के वैज्ञानिक युग में आसानी से ढूँढा भी जा सकता है और सिद्ध भी किया जा सकता है ।

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