सूर्य चौथे घर में (Sun in Fourth House)

सूर्य चौथे घर में (Sun in Fourth House)

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार चौथे भाव(Fourth House) से माता, घर, मित्र, सुगंधी , जेवर, सुख, उच्च शिक्षा, सवारी, लक्ज़री, वाहन, पानी, नदी आदि का विचार किया जाता है | इसे केंद्र भाव भी कहा जाता है| वंही सूर्य(Sun) ग्रह(Grah) को ऊर्जा, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है। सभी ग्रहों का राजा भी सूर्य है। व्यक्तित्व, पिता, वैद, प्रतिष्ठा, सोना, ताम्बा, युद्ध में विजय, सुख, राजसेवक, ताक़त, देवस्थान, जंगल, पहाड़, पित्त प्रकृति आदि का विचार भी सूर्य(Sun) से किया जाता है। सूर्य(Sun) की पित्त प्रकृति होती है इसकी हड्डियां मजबूत होती हैं सर के बाल थोड़े इसकी आकृति कुछ लालिमा लिए होती है इसकी भुजाएं विशाल और लाल वस्त्र धारण करने वाल स्वभाव से शूर और प्रचंड है।

वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में सूर्य चौथे घर में(Sun in Fourth House) बैठा हो तो व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में कलह करा सकता है, पिता से वाद विवाद बना रह सकता है, कुछ संघर्षों के बाद घर और वाहन का सुख मिलता है। ये स्थान केंद्र स्थान है और जीवन के प्रारंभिक वर्षों का लेखा जोखा भी यही से देखा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति अपने दृष्टिकोण पर अडिग रहते हैं। कुंडली(Kundli) के चौथे घर(Fourth House) में सूर्य होने के कारण व्यक्ति अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहता है और अक्सर देखा गया है कि उसका पिता सामाजिक या राजनीतिक तौर पर एक स्थापित नाम हो सकता है। विदेशों में कारोबार से लाभ कमा सकता है।

कुंडली(Kundli) में सूर्य चौथे घर में(Sun in Fourth House) बैठा हो और उसके नकारात्मक परिणामों कि बात करें तो ऐसा व्यक्ति दूसरे लोगों पर अपने विचारों को थोप सकता है। आत्मविश्वास के नाम पर अहंकारी हो सकता है , अपने पिता से अनबन बनी रह सकती है। धन को लेकर भाई बहनों से विवाद हो सकता है। हमेशा असंतुष्ट बना रह सकता है। माता के सुख में कमी आ सकती है । धन आगमन में कठिनाईओं का सामना करना पड़ सकता है। बार बार नौकरी बदलना मजबूरी बन सकती है या नौकरी के लिए भटकना पड़ सकता है। अक्सर देखने में आया है कि सूर्य(Sun) मेष, सिंह, मीन और धनु राशियों में बैठा हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं, इसके अलावा कर्क और वृश्चिक राशियों में भी सूर्य के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं ।

कुंडली(Kundli) में सूर्य(Sun) मेष राशि(Rashi) में 10 अंश तक उच्च और तुला राशि(Rashi) में नीच का होता है | सूर्य(Sun) का रत्न माणिक्य होता है | सूर्य(Sun) से रक्त, पित विकार, अतिसार, पेट की बीमारी, सिर दर्द, नेत्र रोग, ज्वर, ह्रदय रोग आदि का विचार किया जाता है |

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